॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,
तस्मै न काराय नमः शिवाय
तस्मै न काराय नमः शिवाय
तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥१॥
करारविन्देन पदार्विन्दं,
मुखार्विन्दे विनिवेशयन्तम्।
वटस्य पत्रस्य पुटेशयानं,
बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि॥
बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि॥
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श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे,
हे नाथ नारायण वासुदेव।
मनहारी का भेस बनाया,
श्याम चूड़ी बेचने आया।
छलिया का भेस बनाया,
श्याम चूड़ी बेचने आया॥
झोली कंधे धरी, उस में चूड़ी भरी।
झोली कंधे धरी, उस में चूड़ी भरी।