Shiv Stotram (Ramesh Oza) Karaoke

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शिवताण्डवस्तोत्रम् ||
१ २ ३ ४
जटाटवी गलज्जल प्रवाह पावितस्थले,
गलेवललम्बलम्बितांभुजंगतुङ्गमालिका
डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद वड्डमर्वयं,
चकारचण्डताण्डवंतनोतु नःशिवःशिवम् ||१||
१ २ ३ ४
जटाकटाहसंभ्रम भ्रमन्निलिम्प निर्झरी,
विलोलवीचिवल्लरी विराजमान मूर्धनि |
धगद्धगद्धगज्ज्वलल् ललाटपट्टपावके
किशोरचन्द्र शेखरे रतिः प्रतिक्षणंमम ||२||
१ २ ३ ४
धराधरेन्द्र नंदिनी विलास बन्धुबन्धुरस्
फुरद्दिगन्त सन्तति प्रमोदमानमानसे |
कृपा कटाक्ष धोरणी निरुद्ध दुर्धरापदि
क्वचिद्दिगम्बरेमनोविनोदमेतुवस्तुनि ||३||
१ २ ३ ४
जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा
कदम्ब कुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे |
मदान्धसिन्धुरस् फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे
मनो विनोद मद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ||४||
१ २ ३ ४
सहस्र लोचनप्रभृत्य शेष लेखशेखर
प्रसूनधूलिधोरणीविधूसराङ्घ्रि पीठभूः |
भुजङ्ग राजमालया निबद्ध जाटजूटक
श्रियै चिरायजायतां चकोर बन्धुशेखरः ||५||
१ २ ३ ४
ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा
निपीतपञ्चसायकंनमन्निलिम् नायकम् |
सुधा मयूखले खया विराजमानशेखरं
महाकपालिसम्पदे शिरोज टालमस्तनः ||६||
१ २ ३ ४
करालभाल पट्टिका धगद्धगद्धगज्ज्वल
द्धनञ्जयाहुती कृतप्रचण्ड पञ्चसायके |
धरा धरेन्द्र नन्दिनी कुचाग्र चित्रपत्रक
प्रकल्पनैकशिल्पिनी त्रिलोचने रतिर्मम |||७||
१ २ ३ ४
नवीनमेघमण्डलीनिरुद्धदुर्धरस्फुरत्-
कुहूनिशीथि नीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः |
निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतुकृत्तिसिन्धुरः
कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद् धुरंधरः ||८||
१ २ ३ ४
प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा-
वलम्बिकण्ठकन्दल रुचिप्रबद्धकन्धरम् |
स्मरच्छिदंपुरच्छिदंभवच्छिदंमखच्छिदं
गजच्छिदांधकच्छिदंतमंतकच्छिदंभजे ||९||
१ २ ३ ४
अखर्वसर्वमङ्गला कलाकदंब मञ्जरी
रसप्रवाह माधुरीविजृंभणा मधुव्रतम् |
स्मरान्तकंपुरान्तकंभवान्तकंमखान्तकं
गजान्तकाधकान्तकंतमन्तकांतकंभजे ||१०||
१ २ ३ ४
जयत्वदभ्र विभ्रम भ्रमद्भुजङ्ग मश्वस –
द्विनिर्गमत्क्रमस्फुत्करालभालव्यवाट् |
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वन्मृदङ्गतुङ्गमंगल
ध्वनिक्रमप्रवर्तितप्रचण्डताण्डवः शिवः ||११||
१ २ ३ ४
स्पृद्विचित्रतल्पयोर्भुजंगमौक्तिस्रजोर्–
गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः |
तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः
समप्रवृत्तिकःकदासदाशिवंभजाम्यहम
१ २ ३ ४
कदानिलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरेवसन्
विमुक्तदुर्मतिःसदाशिरःस्थमञ्जलिवहं
विलोललोललोचनोललामभाललग्नकः
शिवेतिमंत्रमुच्चरन्कदासुखीभवाम्यहम्
१ २ ३ ४
इमंहिनित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमंस्तवं
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरोविशुद्धिमेतिसंततम् |
हरेगुरौसुभक्तिमाशुयातिनान्यथा गतिं
विमोहनं हिदेहिनांसुशङ्करस्यचिंतनम् ||१४||

पूजा वसान समये दशवक्त्र गीतं
यः शंभु पूजन परं पठति प्रदोषे |
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्र तुरङ्ग युक्तां
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शंभुः ||१५||

इति श्रीरावण- कृतम् शिव- ताण्डव-
स्तोत्रम् सम्पूर्णम्