Mere Veer Prabhu Sa Koi Nahi Karaoke
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धरती ये गगन गाते हैं चमन
रवि शशि से महिमा तेरी
चरणों में नमे तेरे त्रिभुवन
ऐसी है छटा प्रभुवर तेरी
हैं वर्धमान है श्रमन्वीर
तुझसा करूणामय कोई नहीं
मेरे वीर प्रभु सा कोई नहीं
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Description
धरती ये गगन गाते हैं चमन
रवि शशि से महिमा तेरी
चरणों में नमे तेरे त्रिभुवन
ऐसी है छटा प्रभुवर तेरी
हैं वर्धमान है श्रमन्वीर
तुझसा करूणामय कोई नहीं
मेरे वीर प्रभु सा कोई नहीं
मेरे वीर प्रभु सा कोई नहीं
तेरी करुणा है इतनी गहरी
जितना गहरा कोई सिन्धु नहीं
मेरे वीर प्रभु सा कोई नहीं
मेरे वीर प्रभु सा कोई नहीं
जैसे तरुवर की है छाया
जैसे कलकल बहती नदिया
उतने ही मनोहारी लगते प्रभु
मैं ना छोडूं तेरा शरणा
थाम उंगली तेरी चलना
तेरे चरणे अर्पण ज़िंदगी प्रभु
अज्ञान मिटा मेरा सारा
प्रगटा आनन्द उजियारा
जब भी तेरी बातों को स्वीकारा
है जिन वाणी आधार प्रभु
तुमसा सद्गुरुवर कोई नहीं
मेरे वीर प्रभु सा कोई नहीं
मेरे वीर प्रभु सा कोई नहीं
तेरी करुणा है इतनी गहरी
जितना गहरा कोई सिन्धु नहीं
मेरे वीर प्रभु सा कोई नहीं
मेरे वीर प्रभु सा कोई नहीं
त्रिशला के आँगन में जन्में
तीन लोक उद्धार हैं करने
सिध्धार्थ के कुल को हैं धन्य किया
स्वाद व्याद सिध्धांत बताकर
मुक्ति का सनमार्ग दिखाकर
जियो और जीने दो संदेश दिया
दुखियों का दुःख मिटा डाला
समता का ज्ञान जगा डाला
पाप मही धरती को संवारा
हैं जैनों के श्रृंगार प्रभु
तुम सा सहजानंद कोई नहीं
मेरे वीर प्रभु सा कोई नहीं
मेरे वीर प्रभु सा कोई नहीं
धरती ये गगन गाते हैं चमन
रवि शशि से महिमा तेरी
चरणों में नमे तेरे त्रिभुवन
ऐसी है छटा प्रभुवर तेरी
हैं वर्धमान है श्रमन्वीर
तुझसा करूणामय कोई नहीं
मेरे वीर प्रभु सा कोई नहीं
मेरे वीर प्रभु सा कोई नहीं
तेरी करुणा है इतनी गहरी
जितना गहरा कोई सिन्धु नहीं
मेरे वीर प्रभु सा कोई नहीं
मेरे वीर प्रभु सा कोई नहीं
मेरे वीर
मेरे वीर
महावीर
मेरे वीर
मेरे वीर
मेरे वीर
महावीर
मेरे वीर
मेरे वीर प्रभु सा कोई नहीं
Additional information
Mood | Jain Bhajan / stavan |
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धरती ये गगन गाते हैं चमन
रवि शशि से महिमा तेरी
चरणों में नमे तेरे त्रिभुवन
ऐसी है छटा प्रभुवर तेरी
हैं वर्धमान है श्रमन्वीर
तुझसा करूणामय कोई नहीं
मेरे वीर प्रभु सा कोई नहीं
मेरे वीर प्रभु सा कोई नहीं
तेरी करुणा है इतनी गहरी
जितना गहरा कोई सिन्धु नहीं
मेरे वीर प्रभु सा कोई नहीं
मेरे वीर प्रभु सा कोई नहीं
जैसे तरुवर की है छाया
जैसे कलकल बहती नदिया
उतने ही मनोहारी लगते प्रभु
मैं ना छोडूं तेरा शरणा
थाम उंगली तेरी चलना
तेरे चरणे अर्पण ज़िंदगी प्रभु
अज्ञान मिटा मेरा सारा
प्रगटा आनन्द उजियारा
जब भी तेरी बातों को स्वीकारा
है जिन वाणी आधार प्रभु
तुमसा सद्गुरुवर कोई नहीं
मेरे वीर प्रभु सा कोई नहीं
मेरे वीर प्रभु सा कोई नहीं
तेरी करुणा है इतनी गहरी
जितना गहरा कोई सिन्धु नहीं
मेरे वीर प्रभु सा कोई नहीं
मेरे वीर प्रभु सा कोई नहीं
त्रिशला के आँगन में जन्में
तीन लोक उद्धार हैं करने
सिध्धार्थ के कुल को हैं धन्य किया
स्वाद व्याद सिध्धांत बताकर
मुक्ति का सनमार्ग दिखाकर
जियो और जीने दो संदेश दिया
दुखियों का दुःख मिटा डाला
समता का ज्ञान जगा डाला
पाप मही धरती को संवारा
हैं जैनों के श्रृंगार प्रभु
तुम सा सहजानंद कोई नहीं
मेरे वीर प्रभु सा कोई नहीं
मेरे वीर प्रभु सा कोई नहीं
धरती ये गगन गाते हैं चमन
रवि शशि से महिमा तेरी
चरणों में नमे तेरे त्रिभुवन
ऐसी है छटा प्रभुवर तेरी
हैं वर्धमान है श्रमन्वीर
तुझसा करूणामय कोई नहीं
मेरे वीर प्रभु सा कोई नहीं
मेरे वीर प्रभु सा कोई नहीं
तेरी करुणा है इतनी गहरी
जितना गहरा कोई सिन्धु नहीं
मेरे वीर प्रभु सा कोई नहीं
मेरे वीर प्रभु सा कोई नहीं
मेरे वीर
मेरे वीर
महावीर
मेरे वीर
मेरे वीर
मेरे वीर
महावीर
मेरे वीर
मेरे वीर प्रभु सा कोई नहीं
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