हं.......फूलों के रंग से, दिल की कलम से
तुझको लिखी रोज़ पाती
कैसे बताऊँ, किस किस तरह से
पल पल मुझे तू सताती
तेरे ही सपने, लेकर के सोया
तेरी ही यादों में जागा
तेरे खयालों में उलझा रहा यूँ
जैसे के माला में धागा
रंगीला रे...................
तेरे रंग में
यूँ रंगा है मेरा मन
छलिया रे ना बुझे है
किसी जल से ये जलन
ओ..... रंगीला रे
तेरे रंग में
यूँ रंगा है मेरा मन
छलिया रे ना बुझे है
किसी जल से ये जलन
ओ...... रंगीला रे