Aadmi Jo Kehta Hai Aadmi Jo Sunta Hai Karaoke

Aadmi Jo Kehta Hai Aadmi Jo Sunta Hai Karaoke

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कभी सोचता हूँ, कि मैं कुछ कहूँ
कभी सोचता हूँ, कि मैं चुप रहूँ

आदमी जो कहता है, आदमी जो सुनता है
ज़िंदगी भर वो सदायें पीछा करती हैं
आदमी जो कहता है, आदमी जो सुनता है
ज़िंदगी भर वो सदायें पीछा करती हैं

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Description

१..२..३..४..
कभी सोचता हूँ, कि मैं कुछ कहूँ
कभी सोचता हूँ, कि मैं चुप रहूँ

आदमी जो कहता है, आदमी जो सुनता है
ज़िंदगी भर वो सदायें पीछा करती हैं
आदमी जो कहता है, आदमी जो सुनता है
ज़िंदगी भर वो सदायें पीछा करती हैं
आदमी जो देता है, आदमी जो लेता है
ज़िन्दगी भर वो दुआएँ पीछा करती हैं
१…..२…..३…..४…..
कोई भी हो हर ख़्वाब तो सच्चा नहीं होता
कोई भी हो हर ख़्वाब तो सच्चा नहीं होता
बहुत ज़्यादा प्यार भी अच्छा नहीं होता
कभी दामन छुड़ाना हो, तो मुश्किल हो
प्यार के रिश्तें टूटें तो, प्यार के रस्ते छूटें तो
रास्ते में फिर वफ़ाएँ पीछा करती हैं
आदमी जो कहता है, आदमी जो सुनता है
ज़िंदगी भर वो सदायें पीछा करती हैं
१…..२…..३…..४…..
कभी-कभी मन धूप के कारन तरसता है
कभी-कभी मन धूप के कारन तरसता है
कभी-कभी फिर झूम के, सावन बरसता है
पलक झपके यहाँ मौसम बदल जाए
प्यास कभी मिटती नहीं,
एक बूँद भी मिलती नहीं
और कभी रिमझिम घटाएँ पीछा करती हैं
आदमी जो कहता है, आदमी जो सुनता है
ज़िंदगी भर वो सदायें पीछा करती हैं
आदमी जो देता है, आदमी जो लेता है
ज़िन्दगी भर वो दुआएँ पीछा करती हैं

Additional information

Singer

Released

1974

Music Director

Laxmikant-Pyarelal

Movie

MAJBOOR (1974)

Mood

Classical Mood

Lyrics

Anand Bakshi

Reviews

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१..२..३..४..
कभी सोचता हूँ, कि मैं कुछ कहूँ
कभी सोचता हूँ, कि मैं चुप रहूँ

आदमी जो कहता है, आदमी जो सुनता है
ज़िंदगी भर वो सदायें पीछा करती हैं
आदमी जो कहता है, आदमी जो सुनता है
ज़िंदगी भर वो सदायें पीछा करती हैं
आदमी जो देता है, आदमी जो लेता है
ज़िन्दगी भर वो दुआएँ पीछा करती हैं
१.....२.....३.....४.....
कोई भी हो हर ख़्वाब तो सच्चा नहीं होता
कोई भी हो हर ख़्वाब तो सच्चा नहीं होता
बहुत ज़्यादा प्यार भी अच्छा नहीं होता
कभी दामन छुड़ाना हो, तो मुश्किल हो
प्यार के रिश्तें टूटें तो, प्यार के रस्ते छूटें तो
रास्ते में फिर वफ़ाएँ पीछा करती हैं
आदमी जो कहता है, आदमी जो सुनता है
ज़िंदगी भर वो सदायें पीछा करती हैं
१.....२.....३.....४.....
कभी-कभी मन धूप के कारन तरसता है
कभी-कभी मन धूप के कारन तरसता है
कभी-कभी फिर झूम के, सावन बरसता है
पलक झपके यहाँ मौसम बदल जाए
प्यास कभी मिटती नहीं,
एक बूँद भी मिलती नहीं
और कभी रिमझिम घटाएँ पीछा करती हैं
आदमी जो कहता है, आदमी जो सुनता है
ज़िंदगी भर वो सदायें पीछा करती हैं
आदमी जो देता है, आदमी जो लेता है
ज़िन्दगी भर वो दुआएँ पीछा करती हैं